सोमवार, 6 दिसंबर 2010

संचार शोध

                                                               
मनुष्य स्वभातः एक जिज्ञासु प्राणी है। आदि काल से ही वह प्रकृति, देश दुनिया, समाज एंव ब्रहमांड के बारे में जानने को उत्सुक रहा है। अपना, अपने समाज ,अपने व्यवहार का या सामाजिक घटनाओं का अध्ययन मानव के लिए रोचक होता है। शोध मानव ज्ञान का एक अविभाज्य अंग है। जैस कि ''हेरिंग'' ने 'Reserch for public policy' में लिखा है कि जिस प्रकार सब्जी में नमक का महत्व है उसी प्रकार शोध का जीवन में महत्व है। आज मानव जीवन में जो कुछ भी है सब शोध एंव अनुसंधान का ही प्रतिफल है, अनवरत शोध एंव अनुसंधानों की सहायता से ही समाज निरंतर गतिशील व विकासशील रहा है। इस गतिशीलता को बनाएं रखने के लिए शोध मनमाने ढंग से नही किया जा सकता है। निरीक्षण-परीक्षण के प्रयोग पर अधारित वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करने पर ही सत्य को खोजा जा सकता है, सामाजिक घटनाओ पर संचार प्रभाव के संबंध में सत्य की खोज ही संचार शोध है।
जब हम संचार शोध की चर्चा करते है तो इसका तात्पर्य मुख्य रूप से जनसंचार प्रक्रिया एंव संचार के प्रभावो का वैज्ञानिक अध्ययन करना है। जिससे किसी तथ्यात्मक निष्कवर्ष पर पहुंचा जा सके। आज मीडिया और जनसंचार आधुनिक जीवन की अनिवार्य आवश्यरकता बन चुके हैं और ये हमारे राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और यहां तक व्ययक्तिगत जीवन को प्रभावित कर रहें हैं। मीडिया पर हमारी निर्भरता ही हमें उसकी प्रक्रिया और प्रभाव को समझने की प्रेरणा प्रदान करती है। संचार शोध के इतिहास पर नजर डाले तो पता चलता है कि सर्व प्रथम अमेरिका उच्च शिक्षा में संचार के क्षेत्र में संस्थाओं के विकास के अध्ययन परंपरा की शुरुआत हुई जो आगे चलकर यूरोपीय विकास के साथ संबद्ध हो गई। जो समाज विज्ञान में मानवता विकास के सन्दर्भ में ही संचार शोध के इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष सन्‌ १९५५ में काज एंव लेयर फील्ड ने प्रस्तुत किया वैसे उसकी शुरुआात सन्‌ १९४० में ही हो गई थी इसके बाद जनसंचार के प्रतिमानों में सामाजिक संस्थाओ का अध्ययन एंव उनका सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक प्रभाव शिक्षा का इतिहास, पत्रकारिता एंव प्रकाशन के इतिहास का अध्ययन शामिल हो गया। फिर भी यह कहते हुए संकोच नही हो रहा है कि संचार अध्ययन के इतिहास पर अब तक कोई उल्ले खनीय शोध नहीं हो पाया है। कुछ संचार वैज्ञानिको ने अपने ऐतिहासिक शोध अध्ययन में संचार के कुछ संगठित संस्थाओ के क्षेत्र का निर्धारण किया है। जिनमें हेराल्ड लासवेल (१९४८) बेरेल्सन (१९५४) डेनिस मैक्विल (१९६९) रोजर और वेल (१९८५) के नाम उल्लेखनीय हैं। संचार शोध का ऐतिहासिक विश्ले)षण करने वाले विद्वानों में कार्ल हॉलैण्ड (१९४९), सीट्रोम (१९८२) कैफी और होिशयार (१९८५) वार्टेल, रोजर्स व शूमेकर (१९७१) आदि प्रमुख हैं।